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2-3 सालों में ऐसा क्या हुआ कि 18-24 साल के लोगों की मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है!


किसी भी इंसान के लिए केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी स्वस्थ (mental health)रहना है स्वास्थ्य की गारंटी है. यूं तो शारीरिक परेशानियों की तरह मानसिक परेशानियों का भी इलाज है लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा वर्ग की मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर पड़ा है. हाल ही में कराए गए कुछ अध्ययनों ने कहा है कि पिछले तीन सालों में 18 से 24 साल के युवा वर्ग की मेंटल हेल्थ पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है. ऐसा क्यों हुआ है इस बात को लेकर हुई स्टडी में कोरोना काल (covid 19 effects on mental health)को मेंटल हेल्थ पर बुरे असर के लिए जिम्मेदार माना गया है. 

मानसिक तनाव और डिप्रेशन में इजाफा हुआ  

हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं टीनएज के बाद यानी 18 साल के बाद 25 साल तक की उम्र में किसी भी इंसान का संज्ञानात्मक विकास होता है. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इस वायरस ने ना केवल शरीर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाला है और यही कारण है कि पिछले तीन सालों में लोगों का संज्ञानात्मक विकास काफी कम हुआ है. कोरोना के कारण युवा वर्ग के अधिकतर लोग मानसिक तनाव और परेशानियों से गुजर रहे हैं. चीन जैसे देश में जहां कोरोना के चलते दस फीसदी वयस्क आबादी डिप्रेशन का शिकार हो चुकी है वहीं भारत के युवा और वयस्क वर्ग पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ा है. 

भारत में डिप्रेशन के चलते आत्महत्या का औसत बढ़ा 

चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज़ इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि दुनिया की एक बड़ी आबादी कोरोना महामारी के कारण जिस तरह डिप्रेशन का शिकार हुई है, उससे पार पाना फिलहाल काफी मुश्किल है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि भारत में मानसिक तनाव और डिप्रेशन के चलते  होने वाली आत्महत्याओं का औसत 10.9 है. रोजगार, सेहत, परिवार की चिंता और अन्य कई कारणों से कोरोना काल में मानसिक तनाव अपने चरम पर पहुंचा है और काफी बड़ी युवा आबादी इसका शिकार हुई है.

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