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आजादी के बाद अब तक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण, बारिश में टापू बन जाते हैं गांव

देश को आजाद हुए सात दशक से अधिक का समय गुजर गया. लेकिन सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड के दूरस्थ आदिवासी ग्राम जूझडांड और भेलवाडीड के ग्रामीणों को सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी है. गांव में सड़क एवं बिजली पहुंचने का सपना देखने वाले ग्रामीण अब बूढ़े हो गए हैं. दरअसल, ग्राम पंचायत भकुरमा का आश्रिम ग्राम है डांड़गांव व भेलवाडीड. ग्राम पंचायत मुख्यालय से दोनों गांवों की दूरी 5 किमी है. ग्राम भकुरमा एवं जूझडांड के बीच से बहने वाली जोंक नदी ने दोनों गांवों की दूरी अत्यधिक बढ़ा दी है.

जोंक नदी के एक ओर ग्राम भकुरमा बसा है, जबकि दूसरी ओर ग्राम जूझडांड व भेलवाडीह है. वैसे तो नदी में साल भर पानी रहता है लेकिन बरसात के दिनों में नदी चार महीने तक लबालब रहती है. वर्षा होने पर पहाड़ों का पानी पहुंचने से नदी में बाढ़ आ जाती है और घंटो आवागमन अवरुद्ध रहता है. ऐसे में किसी के गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर भारी संकट की स्थिति निर्मित हो जाती है. ग्रामीण भारी खतरे के बीच चारपाई के सहारे मरीज को नदी पार करा पैदल अस्पताल लेकर जाते हैं. कई बार ग्रामीणों को गंभीर परिस्थितियां निर्मित होने के बावजूद घंटो पानी उतरने का इंतजार करना पड़ता है.

विशेष संरक्षित जनजाति बाहुल्य गांव

दोनों गांवों में विशेष संरक्षित पंडो, पहाड़ी कोरवा, उरांव समुदाय के लोग निवासरत हैं. ग्राम जूझडांड की आबादी 350 है जबकि भेलवाडीह की 250 है. ग्रामीण दशकों से नदी पर पुल व गांव तक सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन पुल बनना तो दूर शासन द्वारा अभी तक नदी तट से गांव तक पक्की सड़क बनाने की भी पहल नहीं की गई. ग्रामीण हर साल श्रमदान कर गावं से नदी तक कच्ची सड़क बनाते हैं जो वर्षा होते ही बह जाती है. ग्रामीणों ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से कई बार अपनी समस्या से अवगत करा पहुंचविहीनता के दंश से मुक्ति दिलाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि व अधिकारी ग्रामीणों को आश्वासन देकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं.

ढीबरी के सहारे भविष्य

ग्राम जूझडाड़ एवं मेलवाडीह के ग्रामीणों के लिए जोंक नदी वरदान है लेकिन मूलभूत समस्याओं की पूर्ति नहीं होने के कारण नदी बड़ा अभिशाप बन गई है. बीच में नदी की बाधा के कारण दोनों गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. गांवों के नौनिहाल ढीबरी के भरोसे अपना भविष्य गढ़ने की कोशिश कर रहे है. प्रशासन द्वारा विद्युत विहीन गांवों में सोलर पैनल लगाकर रोशनी की व्यवस्था की गई है, लेकिन दोनों गांवों में अभी क्रेडा का सोलर पैनल पहुंच पाया है.

राशन के लिए 5 किमी का सफर

शासन द्वारा राशन वितरण के लिए ग्राम पंचायत भकुरमा में समिति निर्धारित की गई है. राशन के लिए ग्रामीण हर महीने 5 किमी का पैदल सफर कर भकुरमा पहुंचते है और कांवर के सहारे पैदल अपने घर तक राशन लेकर जाते है. बरसात के दौरान नदी में बाढ़ आने पर ग्रामीणों को घंटो पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है. कई बार तो रात हो जाती है. ग्रामीण खतरे के बीच अंधेरे में नदी पार करते हैं. गांव में स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं. अधिकांश शिक्षक बाइक से स्कूल पहुंचते हैं. इस दौरान छुट्टी के समय नदी में बाढ़ आने पर ग्रामीण शिक्षकों की बाइक को बांस में बांधकर नदी के दूसरी ओर लेकर जाते हैं, तो शिक्षक अपने घर पहुंचते हैं.

पीतें हैं गंदा पानी

ग्राम जूझडांड़ के पास से ही जोंक नदी गुजरती है, लेकिन भूमि के नीचे कड़ी चट्टानें होने के कारण आसानी से पानी उपलब्ध नहीं हो पाता. प्रशासन द्वारा गांव में कई हैंडपंप खनन कराए गए लेकिन सूख गए. हैंडपंप सूखने के कारण ग्रामीण नदी, नाले का गंदा पानी छान कर पीते हैं. गांव में आवागमन का साधन नहीं होने के कारण उपचार के लिए 12 किमी दूर उप स्वास्थ्य केंद्र केदमा अथवा 30 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का सफर करना पड़ता है. ग्राम भकुरमा तक पैदल पहुंचने के बाद पैदल अथवा बाइक के सहारे अस्पताल पहुंचते हैं.

ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है

इस संबंध में सरपंच आरती बाई ने बताया कि पुल, सड़क व बिजली के अभाव में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन समस्याओं के निराकरण के लिए कोई पहल नहीं हुई. उदयपुर एसडीएम बीआर खांडे ने कहा कि ग्रामीणों की समस्याओं से वरिष्ठ कार्यालय एवं शासन से अवगत कराया जाएगा. पुल, सड़क व विद्युत विस्तार का निर्णय शासन स्तर से ही होता है.


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