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लैपटॉप बैन पर यू-टर्न! जानें क्यों सरकार को वापस लेना पड़ा फैसला?


केंद्र सरकार ने लैपटॉप इंपोर्ट बैन के फैसले को वापस ले लिया है। यह फैसला देशभर में 1 नवंबर 2023 से लागू होना था। लेकिन इस डेडलाइन से करीब 15 दिन पहले सरकार ने लैपटॉप इंपोर्ट बैन के फैसले को रिजर्व कर दिया है। मतलब इस फैसले को लागू करने पर फिलहला रोक लगा दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के ट्रेड सेक्रेटरी सुनील बर्थवालव ने कहा कि लैपटॉप और कंप्यूटर के इंपोर्ट पर बैन नहीं लगाया गया है। उनका कहना था कि सरकार लैपटॉप इंपोर्ट बैन पर निगरानी चाहती है, जिससे लैपटॉप और कंप्यूटर के हार्डवेयर और सिक्योरिटी पर निगाह रखी जा सके।

3 अगस्त को जारी हुई थी अधिसूचना

केंद्र सरकार ने 3 अगस्त को लैपटॉप इंपोर्ट पर बैन लगाने की अधिसूचना जारी की थी। सरकार की मानें,तो वो विदेश से आने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर के हार्डवेयर की सिक्योरिटी को लेकर चिंतित थे, लेकिन सरकार को अमेरिका समेत इंडस्ट्री लीडिंग लैपटॉप कंपनियों की तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा था। ऐपल के साथ ही सैमसंग, डेल, लेनोवो और एचपी जैसी कंपनियों ने सरकार के लैपटॉप बैन के फैसले का विरोध किया गया था। जियो जैसी कंपनियां को भी सरकार के फैसले का नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि जियोबुक चीन से आयात होता है।

लैपटॉप की हुई कमी

सरकार के फैसले से पिछले 2 माह लैपटॉप इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है। भारत में लैपटॉप की कमी का सामना करना पड़ा है, जिससे लैपटॉप की कीमत में इजाफा हुआ है। हालांकि सरकार के स्पष्टीकरण के बाद लैपटॉप और कंप्यूटर की कीमत में कटौती होने की संभावना जताई जा रही है

लैपटॉप बैन के पीछे का तर्क

लैपटॉप बैन पर सरकार का कहना था कि वो लोकली लैपटॉप और कंप्यूटर की मैन्युफैक्चरिंग के लिए इसके इंपोर्ट पर बैन लगाया गया था। साथ ही सिक्योरिटी को एक वजह बताया जा रहा था। लैपटॉप और कंप्यूटर की लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार ने पीएलई स्कीम का ऐलान किया था, जिसमें ज्यादातर कंपनियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन सैमसंग और ऐपल ने पीएलआई स्कीम में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि भारत लैपटॉप के लिहाज से छोटा मार्केट है। भारत में लैपटॉप का मार्केट महज 5 फीसद है।

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