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कैसे न्यूयॉर्क से निकलकर पूरी दुनिया में छाया 'हरे रामा,हरे कृष्णा...



 पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मेनका गांधी ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन पर अपनी गोशाला की गायों को कसाइयों को बेचने के आरोप लगाए हैं. जिसके बाद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.


मेनका ने कहा, "मैं अनंतपुर गोशाला गई थी, जो इस्कॉन संचालित करता है. वहां पर गायों की स्थिति एकदम खराब थी. गोशाला में कोई भी बछड़ा नहीं था, जिसका मतलब है कि वह गाय के बच्चे को बेच देते हैं." उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि संस्थान इन गोवंशों को कसाइयों को बेच देता है जो उन्हें मार देते हैं. बताया जा रहा है कि मेनका गांधी का यह वीडियो तकरीबन एक महीने पुराना है.


वहीं इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस (ISKCON) के कम्युनिकेशंस डायरेक्टर वृजेंद्र नंदन दास ने बीजेपी सांसद मेनका गांधी के बयान की निंदा की है, उन्होंने कहा, "इस्कॉन मेनका गांधी के दिए गए झूठे बयानों की निंदा करता है. उन्होंने आधारहीन बयान दिया है. इस्कॉन की अनंतपुर गोशाला में 240 से ज्यादा गायें हैं, जो बिल्कुल दूध नहीं देतीं, वहां सिर्फ 18-19 गायें ही दूध देती हैं. सभी गायों की बहुत ही प्रेम से देखभाल की जाती है."


दास ने बताया कि गोशाला का दौरा करने पहुंचे डीएम, सांसद, विधायक और स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी कहा कि मेनका गांधी का बयान बिल्कुल गलत है. उन्होंने मेनका गांधी से पूछा कि पहले तो वो ये बताएं कि वो गोशाला कब गई थीं.


उन्होंने कहा, "उन्हें (मेनका गांधी) पता होना चाहिए कि इस्कॉन एक चैरिटेबल ट्रस्ट है और 50 साल से ज्यादा वक्त से सनातन धर्म की सेवा कर रहा है. गोमाता हमारी मां है. हम पूरी दुनिया में गोमाता की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं. भारत भर में हमारी 60 गोशालाएं हैं. आप कहीं भी जा कर चेक कर सकते हैं कि हम कितने अच्छे से गाय का ख्याल रखते हैं."


इसके अलावा दास ने आगे कहा, "बीजेपी नेता ने जो आरोप लगाया है वो असहनीय है. इससे लोग बेहद आहत हैं. इन आरोपों के पीछे क्या मंशा है ये तो वही बता सकती हैं. हम इंसान हैं, हम बस अपने मन की बात जान सकते हैं न कि दूसरे की, लेकिन उन्होंने जो बयान दिया उसका हम खंडन करते हैं."


मेनका के बयान के बाद इस्कॉन ट्रस्ट चर्चाओं में आ गया है. हम आपको इस ट्रस्ट के इतिहास और ये कैसे काम करता है इसके बारे में बताएंगे.


अमेरिका में हुई थी इस्कॉन की स्थापना

इस्कॉन अमेरिका द्वारा रजिस्टर्ड संस्था है. दुनिया में पहला इस्कॉन मंदिर भारत नहीं बल्कि अमेरिका में स्थापित किया गया था. साल था 1966, जब न्यूयॉर्क शहर में श्रीकृष्ण कृपा श्रीमूर्ति श्री अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने पहले इस्कॉन मंदिर  का निर्माण करवाया था.  स्वामी प्रभुपाद का जन्म भारत के कलकत्ता में हुआ था, बाद में वो अमेरिका में बस गए थे.


कैसी था प्रभुपाद का इस्कॉन की स्थापना का सफर

कृष्ण की भक्ति को जन-जन तक पहुंचाने का स्वामी प्रभुपाद का सफर भी काफी दिलचस्प रहा है. इस्कॉन की मानें तो शुरुआत में प्रभुपाद ने पश्चिमी देशों में भगवान कृष्ण का संदेश फैलाने के लिए वृन्दावन छोड़ दिया था. वो भगवान कृष्ण की किताबों से भरा ट्रक लेकर बोस्टन पहुंचे थे.


शुरुआत में उन्हें श्रीकृष्ण के संदेश लोगों तक पहुंचाने में काफी समय लगा, लेकिन फिर लोगों की नजर उन पर पड़ने लगी. धीरे-धीरे लोग उनके व्याख्यानों में शामिल होने लगे.  प्रभुपाद 1966 तक न्यूयॉर्क में रहे, जहां उन्होंने हर हफ्ते भगवत गीता पर व्याख्यान देना शुरू किया. इसके साथ उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क में इस्कॉन की स्थापना की थी.


संस्था की मानें तो 1966 से 1968 के बीच काफी संख्या में अनुयायी उनके मिशन में शामिल हुए. इसके बाद श्री प्रभुपाद ने लॉस एंजिल्स, सिएटल, सैन फ्रांसिस्को, सांता फे, मॉन्ट्रियल और न्यू मैक्सिको जैसे शहरों में मंदिरों की स्थापना की.


1969 और 1973 के बीच कनाडा, यूरोप, मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और भारत में कई मंदिरों का उद्घाटन किया गया.  इस्कॉन के विकास की देखरेख के लिए 1970 में एक संस्था भी स्थापित की गई.


कैसे होता है इस्कॉन का संचालन?

इस्कॉन ट्रस्ट का कोई मालिक नहीं है. साल 1977 में इसके संचालन के लिए श्रील प्रभुपुादन ने एक ग्रुप की स्थापना की थी जिसे गवर्निंग बॉडी कमीशन के नाम से जाना है.  इसकी बैठक हर साल पश्चिम बंगाल के मायापुरा में होती है. जहां वोटिंग के जरिए प्रस्ताव पास किया जाता है. इस्कॉन का हर मंदिर अपना कामकाज खुद देखता है.


50 सालों में कितना बढ़ गया इस्कॉन

पिछले 50 सालों में इस्कॉन का प्रसार तेजी से हुआ है. साथ ही इस समय में इस्कॉन दुनिया की एक प्रमुख धार्मिक संस्था भी बन कर उभरी है. दुनियाभर में इस्कॉन के 500 बड़े सेंटर, मंदिर और ग्रामीण समुदाय हैं. इसके अलावा इससे जुड़े 100 शाकाहारी रेस्त्रां भी हैं.  दुनियाभर में इस्कॉन के लाखों सदस्य हैं. श्री प्रभुपाद ने 1972 में भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट की स्थापना की थी. इस्कॉन के अनुसार, ये भगवान कृष्ण की पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है.


श्री प्रभुपाद ने 1966 से 1977 के बीच कृष्ण साहित्य के 40 से अधिक खंडों को संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया. इनमें श्रीमद्भागवत या भागवत पुराण, भगवान कृष्ण के अवतार के इतिहास के 18 खंड, लीलाएं और भक्त जैसी पुस्तकें शामिल हैं. बाद में उन्होंने 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे' मंत्र को दुनियाभर में लोकप्रियता दिलाई. इस्कॉन खुद को भगवान कृष्ण की शिक्षा में विश्वास करने वाला संगठन बताता है और उससे जुड़े सदस्य और श्रद्धालु श्रीकृष्ण की ही भक्ति में लीन रहते हैं. इंस्कॉन का संबंध गोड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से है, जो हिंदू संस्कृति में एक एकेश्वरवादी परंपरा है. इस परंपरा में श्रीकृष्ण की भक्ति की जाती है.


क्या होता है इस्कॉन के सदस्यों का काम?

इस्कॉन के सदस्य अपने घरों में भक्ति योग का अभ्यास करते हैं. साथ ही वो मंदिरों में पूजा-अर्चना भी करते हैं और योग सेमिनार, फेस्टिवल, पब्लिक जप और साहित्य वितरण के जरिए भगवान कृष्ण के प्रति चेतना को बढ़ावा देते हैं. इस्कॉन द्वारा स्कूल, कॉलेज, इको-विलेज, फ्री फूड डिस्ट्रीब्यूशन और दूसरे संस्थान भी खोले गए हैं.


गोसेवा है इस्कॉन का अहम हिस्सा

इस्कॉन जगह-जगह गोशालाएं चलाकर गोसेवा करता है. जिसके तहत गोशालाओं में गायों को हरा चारा खिलाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है.  इस्कॉन का मानना है कि गाय धरती माता की प्रतिनिधि है और उनकी रक्षा करना और उनकी सेवा करना सबसे बड़ा काम है.


भारत में पहली बार कब हुई इस्कॉन मंदिर की स्थापना?

भारत में सबसे पहले इस्कॉन मंदिर की स्थापना वृंदावन में 1975 में की गई थी. इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. इसके अलावा बैंगलुरु का इस्कॉन मंदिर सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर माना जाता है जिसे 1997 में स्थापित किया गया था.  मुंबई में साल 1978 और दिल्ली में साल 1984 को इस्कॉन मंदिर की स्थापना हुई थी.


इस्कॉन सेंटर्स के डाटा के अनुसार, 1975 से अब तक भारत के अलग-अलग शहरों में 238 इस्कॉन मंदिर स्थापित किए जा चुके हैं. भारत में इस्कॉन के अनुयायी लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ने का काम भी करते हैं. साथ ही जगह-जगह लोगों की सेवा करने का काम करते हैं. 


इस्कॉन का उद्देश्य जीवन के मूल्यों के असंतुलन को रोकना और दुनिया में वास्तविक एकता और शांति प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और कृष्ण के प्रति चेतना का प्रचार करना है.  इस्कॉन के मुताबिक श्रीकृष्ण के दिखाए रास्ते पर चलते हुए लोगों की सेवा करना और उनके काम आना भी है.


कब-कब विवादों में आ चुका है इस्कॉन?


साल 2023 में इस्कॉन ने अपने पुजारी पर प्रतिबंध लगाया

इस्कॉन मंदिर पहले भी कई बार विवादों में रह चुके हैं. इसी साल इस्कॉन प्रबंधन द्वारा अपने पुजारी अमोघ लीला दास पर प्रतिबंध लगाया गया था. इस्कॉन ने ये फैसला स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बारे में टिप्पणियों के बाद किया था.


साल 2018 में धर्म के नाम पर ब्रेन वॉश करने का लगा आरोप 

अहमदाबाद के हरे कृष्ण मंदिर पर धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर युवाओं का ब्रेन वॉश करने का भी आरोप लगाया था. ये आरोप झारखंड में रहने वाले एक परिवार ने लगाया था.  उनका कहना था कि उनके बेटे प्रशांत का ब्रेन वॉश कर उसे लोगों से दूर किया गया है. हालांकि इस्कॉन ने इन आरोपों को गलत बताया था.


साल 2016 में शंकराचार्य ने इस्कॉन को धर्मांतरण करवाने वाली संस्था बताया

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि इस्कॉन कृष्ण भक्ति के नाम पर हिन्दुओं को बरगलाकर उनका धर्मांतरण कराने में जुटा है. इस्कॉन के अंतरराष्ट्रीय संपर्क प्रमुख ब्रजेंद्र नंदन दास ने शंकराचार्य के बयान पर हैरानी जताते हुए इस आरोप का पूरी तरह से खंडन किया था. उन्होंने कहा था, 'धर्मांतरण जैसी बात कहना बेमानी है. इस्कॉन तो कृष्ण भक्ति का संदेश और गीता के प्रचार-प्रसार में जुटा है.'


मेनका गांधी, गांधी परिवार की बहू, बीजेपी सांसद और पशु अधिकारों की बड़ी अगुवा


गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी बीजेपी नेता और सुल्तानपुर से सांसद हैं. मेनका गांधी नेता होने के साथ-साथ पशुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए भी जानी जाती हैं. वो खुद को शाकाहारी बताती हैं. उनके बेटे वरुण गांधी भी भी पीलीभीत से सांसद हैं. इस्कॉन ट्रस्ट को लेकर मेनका गांधी का बयान सोशल मीडिया पर चर्चा में हैं. 


मेनका गांधी ने साल 1992 में पीपुल्स फॉर एनीमल नाम की संस्था की स्थापना की थी. इस संस्था की वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक पशुओं के बचाव के लिए 26 अस्पताल, 165 यूनिट, 60 मोबाइल यूनिट और 2.5 सदस्यों को जोड़ा जा चुका है. संस्था का उद्देश्य भारत के सभी 600 जिलों में जानवरों की मदद और उनके बचाव के लिए यूनिट खोलना है.


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