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भारत के संविधान के पृष्ठभाग पर प्रभू श्रीराम के चित्रही प्रमाण है, रामराज्य की कल्पना भारत का ध्येय है l राम राज्य सुराज एवं सुशासन विषयपर श्रीमद जगद्गुरु रामानंदाचार्य राम राजेश्वराचार्य माऊली सरकारजी बोले की , राम राज्य के निर्माण मे शासन की भूमिका ही महत्त्वता बताते हुए कहा की सुराज्य और सुशासन से ही राम राज्य मुमकिन है उन्होने कहा की जिसने पंच निर्मूलन कर लिया तो पहिला कदम रामराज्य मे रख लिया l राम राज्य बनाने के लिए पांच चीजोसे मुक्ती आवश्यक आहे l पहिला अज्ञान से मुक्ती और ज्ञान की प्राप्ती, दुसरा असामाजिकता से मुक्ती, तिसरा कलाहीनता से और कौशल्य की प्राप्ती, चौथा भाग्यसे मुक्ती और पांचवा असत्य से मुक्ति हो गई l जब पंचतत्व का सेतू जुडेगा, तो घर मे राम राज्य आयेगा l राम भारत की संस्कृति के प्राण है l समाज मे राम राज्य का आरंभ कैसे होता है , भारत के संविधान के पृष्ठभाग पर प्रभू श्रीरामजी के चित्र प्रमाण माना जा सकता है l राम राज्य की कल्पना भारत का ध्येय है l स्वामीजीने कहा है कि त्रेता युग मे राम राज्य के विस्तार से समझाया और वर्तमान मे उसकी जरूरत पर बल दिया गया l राम राज्य यही है l किसी के जमीन पर जबरदस्ती अधिकार नही कीया जा सकता l सांकेतिक टिप्पणी मे कहा है कि कुरितीओ, कुविचारो कुपरंपरा ओ त्यागना ही उसका दहन करना है l इसी को ही रावण दहन करना होता है l सनातन धर्म मे छू छूआत नही है l नाही कही गलत विचारधारणा है l कही लोग अपने स्वार्थ के लिए गलत विचारधारा मे लाते है l

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